चीनी PL-17 मिसाइल को टक्कर देने अमेरिका ने उतारी नई मिसाइल AIM-260, भारत का R-37 पर दांव, रेस में कौन कितना आगे?

 

पाते हैं।
INDIA BUNKER BUSTER BOMB

अग्नि-5 7500 किलो का बंकर बस्टर वॉरहेड ले जाएगा

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन अग्नि-V इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का मॉडिफाइड वर्जन बना रहा है। अग्नि-V के ओरिजिनल वर्जन की रेंज 5000 किलोमीटर से अधिक है और यह मिसाइल आमतौर पर न्यूक्लियर वारहेड लेकर जाता है। इसका मॉडिफाइड वर्जन एक पारंपरिक हथियार होगा जो 7500 किलोग्राम के विशाल बंकर-बस्टर वारहेड ले जाने में सक्षम होगा।
लड़ाकू विमानों का काल, एयर टू एयर मिसाइलों में रेस, चीनी PL-17 बनाम अमेरिकी बनाम भारतीय R-37
वॉशिंगटन: टेक्नोलॉजी जैसे जैसे एडवांस होती जा रही है, घातक एयर टू एयर मिसाइलों की मांग और ज्यादा बढ़ती जा रही है। चीनी PL-15 एयर टू एयर मिसाइल का इस्तेमाल हालिया भारत-पाकिस्तान संघर्ष में देखने को मिला था। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन इस वक्त PL-17 और PL-21 एयर टू एयर मिसाइल पर काम कर रहा है, जिसकी क्षमता PL-15 से काफी ज्यादा होगी। वहीं अमेरिका ने चीन की इस ताकत को काउंटर करने के लिए AIM-260 पर काम करना शुरू कर दिया है। जबकि भारत ने रूसी R-37 पर दांव खेलने का मन बनाया है। इन मिसाइलों का मुख्य मकसद दुश्मन के एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम (AEW&C) एयरक्राफ्ट, टैंकर एयरक्राफ्ट और स्टील्थ लड़ाकू विमानों को बहुत दूर से ही खत्म करना होता है।

अमेरिका की नौसेना और वायुसेना ने 2026 के बजट प्रस्ताव में AIM-260 एयर टू एयर मिसाइल के लिए करीब 670.5 मिलियन डॉलर की खरीद फंडिंग और 687 मिलियन डॉलर की रिसर्च एंड डेवलपमेंट फंडिंग की मांग की है। यह AIM-120 AMRAAM मिसाइल का नेक्स्ट वेरिएंट होगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक AIM-260 में रामजेट या डुअल-पल्स रॉकेट मोटर, मल्टी-मोड सीकर (इन्फ्रारेड + एक्टिव रडार), टू-वे डाटा लिंक और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर प्रतिरोधी सिस्टम शामिल होंगे, जो इसे अत्यधिक घातक और आधुनिक बनाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले इसका इस्तेमाल अमेरिका के F-22 रैप्टर लड़ाकू विमान में किया जाएगा, लेकिन भविष्य में इसे F-35 और F-15EX जैसे लड़ाकू विमानों में भी इंटीर्गेट किया जाएगा। AIM-260 का मुख्य मकसद चीन के PL सीरिज की मिसाइलें जैसे PL-15, PL-17 और PL-21 के खिलाफ और ज्यादा दूरी से हमले की क्षमता विकसित करना है।
AIM-260 बनाम PL-17 मिसाइलें
दावा किया गया है कि डबल-सीकर डिजाइन के साथ, मिसाइल की सटीकता और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के प्रतिरोध दोनों में बहुत ज्यादा इजाफा होगा। इसके अलावा, यह कम रडार फुटप्रिंट के साथ चुपके से लक्ष्य को निशाना बनाना आसान बना देगा। यानि अमेरिका इसे अपने स्टील्थ लड़ाकू विमानों में इंटीग्रेट करने के लिए तैयार कर रहा है। फरवरी 2025 में अमेरिकी नौसेना ने अगली पीढ़ी की लंबी दूरी की AIM-260 के रेंडरिंग का सार्वजनिक रूप से खुलासा किया था, जिसमें मिसाइल के बाहरी और गाइडेंस सेक्शन के बारे में कई जानकारियां दी गई थी। दूसरी तरफ चीन ने PL-15 के बाद अब PL-17 और PL-21 जैसे बेहद लंबी दूरी तक मार करने वाले एयर-टू-एयर मिसाइलों पर फोकस किया है। PL-17 को J-17 फाइटर जेट पर देखा गया है और इसकी मारक क्षमता लगभग 400 किलोमीटर तक मानी जा रही है, जो कि किसी भी वर्तमान अमेरिकी मिसाइल से ज्यादा है।

PL-17 के गाइडेस सिस्टम में इनर्शियल नेविगेशन, सैटेलाइट गाइडेंस, डाटा लिंक और टर्मिनल फेज में एक्टिव रडार सीकर शामिल है। यह मिसाइल दुश्मन के AEW&C प्लेटफॉर्म जैसे Boeing E-3D या Wedgetail को बिना सामने आए ही मार गिराने की क्षमता रखती है। हाल ही में पाकिस्तान को चीन ने PL-15 मिसाइलें दी थीं, जिनका इस्तेमाल उसने भारत के खिलाफ किया था। इस संघर्ष के बाद दुनिया में एयर टू एयर मिसाइलों की डिमांड और ज्यादा बढ़ गई है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) बहुत लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (VLRAAM) विकसित कर रही है जो दूर से लक्ष्य पर हमला कर सकती हैं। अमेरिकी डिफेंस डिपार्टमेंट (डीओडी) की पिछली रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन के पास पहले से ही पीएल-17 VLRAAM है और वो उससे भी ज्यादा एडवांस लंबी दूरी की मिसाइल, PL-XX यानि पीएल-21 पर काम कर रहा है।
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